स्वामी विवेकानंद जी के 4 प्रेरक कहानियां ।

Swami Vivekananda inspirational story
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नमस्ते दोस्तों आज मैं आपको स्वामी विवेकानंद जी के जीवन में घाटी  प्रेरणादायक प्रसंग बता रहा हूं जो आपको कुछ नया तू खाएगी और आपको मोटिवेशन देगी तो चलिए शुरू करते हैं


1:मां का आशीर्वाद

जब स्वामी विवेकानंद पहली बार अमेरिका जा रहे थे तो उन्होंने अपनी मां से आशीर्वाद ना कहा कि मां मैं अमेरिका जा रहा हूं मुखिया आशीर्वाद दीजिए पर उनकी मां ने कुछ नहीं बोला वे चुप रहे स्वामी विवेकानंद जी को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने फिर से कहा ना मैं अमेरिका जा रहा हूं मुझे आशीर्वाद दीजिए पर उनकी मां ने कुछ नहीं कहा


 कुछ देर बाद उनकी मां ने कहा कि जाओ और एक चाकू लेकर आए जैसे ही स्वामी विवेकानंद जी ने अपनी मां को चाकू लाकर दिया उन्होंने ढेर सारा आशीर्वाद दे दिया स्वामी विवेकानंद जी को यह बात कुछ हजम नहीं मिली उन्होंने पूछा कि चाकू लाने से आशीर्वाद का क्या कनेक्शन है तब उनकी मां ने बताया कि जब तूने मुझे चाकू दिया तो धारदार वाला हिस्सा अपनी तरफ दफ्तर मुझे दिया ना कि मुझे चोट ना पहुंच जाए 


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आज मैं समझ गई कि तू अमेरिका जाएगा तो पूरी चीजें अपने पास रख सब लोगों में अच्छी चीजें बटेगा उसके बाद उन्होंने अपने बेटे को खुशी-खुशी अमेरिका के लिए विदा किया




2:गुरु की भक्ति

स्वामी विवेकानंद जी के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस थे। आपको बता दूं कि स्वामी विवेकानंद जी का मूल नाम नरेंद्र दत्त था उनके गुरु उनको प्यार से नरेंद्र बुलाते थे लोगों को भी गुरु शिष्य की जोड़ी काफी पसंद आती थी



 एक बार उनके गुरु ने विवेकानंद जी की परीक्षा लेने की सूचना के लिए उनसे बातचीत करना बंद कर दिया यहां तक कि वे उनकी तरफ देखते भी नहीं स्वामी विवेकानंद जी अपने दैनिक क्रिया को करते हुए वे  गुरुजी के पास बैठ जाते और समय अनुसार वापस आ जाते हैं ऐसा करीब चार-पांच दिनों तक चला अंत में गुरु जी को भी बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने जिज्ञासा पूर्वक पूछा कि मैं तुझसे बात भी नहीं करता फिर भी तू मेरे पास क्यों आता है 

 



विवेकानंद जी ने बड़ा ही बड़ा ही सुंदर जवाब दिया कहा कि मैं आपको सिर्फ देखने आता हूं जरा आप बात की गहराई को समझिए स्वामी विवेकानंद जी गुरु तो देख पर ही कहां से कहां पहुंच गए उन्होंने अपने  में अपने भगवान को देखा।


3:डरो मत सामना करो

एक बार जब स्वामी विवेकानंद कलकत्ता के किसी दुर्गा मंदिर से निकल रहे थे तब उनके हाथ में प्रसाद के रूप में कुछ केले थे। जैसे ही वे मंदिर के बाहर निकले कुछ बंधुओं ने उन्हें घेर लिया वे अपनी किशोरावस्था में थे इसके लिए वह बंदरों को देख भयभीत हो गएऔर वहां से दौड़ कर भागने लगे।


इतने में बंदर भी उनके पीछे दौड़ने लगे अभी एक साधु ने उन्हें रोका और कहा डरो मत और सामना करो इतना सुनते ही रुके और पीछे घूमे आप और बंदरों की तरफ बार पड़े इतना देख बंदर भी डर के मारे भाग से तब उन्होंने यह सीखा की समस्या चाहे कितनी भी बड़ी हो उसका हल भागने से नहीं होगा से लड़ाई कर कर उससे निपटने में ही भलाई है


इस घटना का जिक्र उन्होंने काफी सालों बाद अपने किसी संबोधन में किया था


3:सच बोलना

एक बार स्वामी जी जब बाल्यावस्था में थे अब वे अपने दोस्तों के साथ बातचीत कर रहे हैं वे बातचीत में इतने हो गए थे कि मास्टर जी कब क्लास में आ गए और पढ़ाना शुरू कर दिया हमने इनका ध्यान भी ना रहा जब मास्टरजी ने क्लास में आ गए उन्हें बातचीत करने की हल्की आवाज आ रही थी



 उन्होंने पूछा कि कौन बात कर रहा है सभी छात्रों ने स्वामी जी की तरफ इशारा किया परंतु मास्टर जी ने इशारा करने वाले और सभी क्लास के छात्रों से पाठ संबंधित सवाल किए इसका जवाब कोई ना दे सका है

 


 उन्होंने वही सवाल स्वामी विवेका जी से किया पर स्वामी विवेकानंद जी ने सवाल का जवाब दे दिया इससे मास्टर जी को जतिन हो गया कि स्वामी जी क्लास में बात नहीं कर रहे थे अंत में उन्होंने पूरी क्लास को सजा दी सजाया  की पूरी क्लास को बेंच पर खड़े होकर हाथ ऊपर करना था स्वामी जी भी गए और बेंच पर खड़े होकर हाथ ऊपर कर लिये इस पर मास्टर जी ने उन्हें रोका कहा कि तू क्यों हाथ ऊपर चल रहा है तूने तो सही जवाब दिया सब स्वामी जी ने सच का सामना करते हुए कहा कि नहीं मास्टर जी ने भी बात कर रहा था और आपके द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब मुझे पहले से पता थे।


4:मंजिल की पहचान

एक बार स्वामी जी के पास एक व्यक्ति आया वह काफी दुखी था वैसे आने लगा कि मैं अपना काम खूब मन लगाकर करता हूं फिर भी सफल नहीं हो पाता हूं मैंने अभी तक कुछ धन नहीं कमाया है और घर में हमेशा झगड़े होते रहते हैं मैं कर्ज में डूबा हुआ हूं मैं पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी अच्छी जीवन नहीं जी पा रहा हूं इस तरह की उसके बाद ढेर सारी समस्याएं थी



 स्वामी जी तुरंत समझ गए और मुस्कुराने लगे उन्होंने कहा कि तुम मेरे कुत्ते को बाहर जाने के लिए लेकर जाओ तो आदमी थोड़ा हैरान हुआ मगर स्वामी जी की बात मान गया ।


बहुत देर के बाद जब वह आदमी और कुत्ता दोनों वापस लौटे कुत्ता एकदम थका हुआ था और वह गंदा भी हो गया था मगर आदमी का चेहरा एकदम चमक रहा था और आदमी थका हुआ भी नहीं था स्वामी जी ने पूछा कि आप कुत्ता इतना ज्यादा थका हुआ कैसे


व्यक्ति ने कहा कि मैं तो अपने रास्ते पर ही जा रहा था मगर यही कुत्ता हर गली के कुत्तों से झगड़ा करके मेरे पास आ जाता है यहां वहां घूमता रहता मैंने और इसमें सामान रास्ता तय किया है मगर फिर भी यार थका हुआ है मैं अपने रास्ते पर सीधे सीधे चलते रहा था इसके लिए मैं नहीं थका हुआ हूं


स्वामी जी मुस्कुराए और बोले तुम्हें अपने सवाल का जवाब मिल गया है उन्होंने व्यक्ति को बताया कि अगर तुम अपने लक्ष्य की तरफ सीधे चलोगे तो जल्दी पहुंच जाओगे कई बार लगता हमारे बेहद करीब होता है मगर हम यहां वहां की चीजों से परेशान होकर लक्ष्य की ओर नहीं पहुंच पाते हैं



तो दोस्तों कैसी लगी आपको स्वामी विवेकानंद जी के 4 प्रेरक कहानियां आशा करता हूं कि इन कहानियों को पढ़ने के बाद आपने कुछ ना कुछ नया जरूर चुका होगा और आपके मन में एक मोटिवेशन की आग लगी होगी ऐसी अद्भुत जानकारी अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ।


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1 comment

  1. बढ़िया जानकारी

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